बुधवार, 7 जनवरी 2015

!! मेरा जनमदिन है आया !!



जिस दिन मैं धरती पे आया,
लेकर अपनी पर नंगी काया, 
मिली मुझे ममता की छाया,
 सबने अपने गोद उठाया,
खूब खेलाया, खूब खेलाया,
बजे थे  ढोल, लोटे और थाली,  
आई थी घर में खुशहाली,
पापा ने था क्या रंग जमाया,
फिर से आज वही दिन है आया,
आया मेरा जनमदिन है आया. !!

माँ की आखों का तारा था मैं,
पापा का राज दुलारा था  मैं,
दादी के कहानी का मुदतक,
छड़ी बन दादा का सहारा था मैं,
बहनो के लिए मैं, जैसे खिलौना,
हमेशा उन्ही के संग था रहना,    
भाई से क्या मैं प्यार था पाया,
दोस्त जैसा था फ़र्ज़ निभाया,
फिर से आज वही दिन है आया,
आया मेरा जनमदिन है आया. !!

आज अकेले मैं बैठा हु,
सबसे दूर कही रहता हु,
दुनिआ ने जो यूँ भरमाया,
छिन लिया  ममता का छाया,
ना बजी  फिर  से  वो थाली,
नहीं  मनाई किसीने खुशहाली,
ये देख मुझे है रोना आया,
मैंने  जन्मदिन नहीं मनाया,
पर फिर से आज वही दिन है आया,
आया मेरा जनमदिन है आया. !!  .

                            अमोद ओझा (रागी)

शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

!! समय के इतिहास को देखो.!!

देखो ! निस दिन लगे नए प्यास को देखो,
बदलते, समय के इतिहास को देखो. !!

था कभी, सतयुग धरती पर, आज कलयुग भी बिता जा रहा है,
हुआ था “महाभारत” यहाँ, आज महा भारत हुआ जा रहा है,
थे कभी “कृष्ण” और “राम” यहाँ पर, आज बस कोहराम है,
था, कभी उपवन धरती पर, आज बंजर खेत खलिहान है,
कैसे बदली समय की रेखा, और बदलते ऋतूमास तो देखो,
क्या और भी कुछ यहाँ बदल पायेगा ?
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो, !!

था पुरुसोत्तम राज्य जहां, वहां आज पुरुस ही उत्तम है,
थीं आई सीता भी जहां, वहां औरतों का जीवन छति तम है,
थे ऋषि और महर्षि जहां, वहां अब ढोंगीओ का ही दमखम है
अलख निरंजन का राग नहीं अब, धर्मराग का परचम है
कहीं पिता के बातों को मान, जाते हुए वनवास तो देखो,
भाई और भाई के बीच, प्यार का वो त्यागवास तो देखो,
क्या हम भी ऐसा कर पाएंगे ?
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो !!

देखो ! समय बदल रहा है, कपटी सा मन मचल रहा है
तुम्हरी देख सुखमय की लाली, सुई सा तन जल रहा है,
उठ रहा मन में विरोधी, ज्वालाओं का ऐसा गोला,
सिर्फ दिखाने हेतु पहना है, सब ने ईमानदारी का चोला,
अधिकारों के लिए अपनों से, बढ़ते उस कलह व्यास को देखो,
दिल में है उठने वाली, गन्दी घृडा प्यास को देखो,
क्या आगे भी ऐसा ही होगा ?
आगे मुझको पता नहीं बस, देखो अपने आस- पास ही देखो,
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो, !!

अमोद ओझा (रागी)

!! प्रियवर मुझे घर जाने दो !!

प्रियवर मुझे घर जाने दो,
कल, यही फिर आने को.

गदबेरा की बेला है आई,
सुनो! इसी में है चतुराई,
संध्या ने भी ली अंगड़ाई,
रोशनी भी है कुम्हलाई,
सूरज आया है डूब जाने को,
प्रियवर मुझे घर जाने दो. !! 1!!

जो देर हुई मुझसे हरजाई,
मेरी तो है शामत आई,
अम्मा ने आवाज चढ़ाई,
बहनो ने भी आँख दिखाई,
जो पापा ने हुंकार लगाई,
कल न मिलेगा फिर आने को,
प्रियवर मुझे घर जाने दो, !! 2!!

है प्रियवर जब से प्रीत लगाई,
रहती हु मैं थोड़ी घबराई,
हो न कही अपनी रुसवाई,
है तुमने मेरी आस बढ़ाई,
तो कल यही फिर आने दो,
प्रियवर मुझे घर जाने दो, !! 3!!

क्या कहु, 
इस रात ने जो की बेवफाई
मुझको तुमसे दूर ले आई,
इसको प्रीत समझ न आई,
बस रात युही ढल जाने दो,
प्रियवर मुझे घर जाने दो. !! 4!!

जब चाँद छितिज पर आएगा,
तारों के दीप जलाएगा,
आएगा सो जायेगा,
कल सुबह सूरज की किरणों को
एक पंचम राग सुनाने दो,
प्रियवर मुझे घर जाने दो.!! 5!!

अमोद ओझा (रागी)

!! मेहंदी लगे हाथ !!



वो मेहंदी लगे हाथ दिखाकर रोई,
मैं किसी और की हु, मुझे यह बात बता कर रोई,
मैं पूछा कौन है वो खुसनसीब बांदा,
वो मेहंदी से लिखा नाम दिखा कर रोई. !!

कही गम से फैट जाये जिगर मेरा,
वो हँसते हँसते मुझे भी हँसा कर रोई,
उसने जाना जब मेरे रोने का सबब,
अपने आंसू मेरी हथेली पर सजा कर रोई !!

दिल ने चाहा उसे जी भर के देख लूँ,
वो मेरी आँखो की प्यास बुझा कर रोई,
कभी कहती थी की मैं जी पाऊँगी तुम बिन,
आज वो फिर वही बात दोहरा कर रोई, !!


इतना  दर्द था मुझसे बिछड़ने का उसको,
अपनी बीती बातें बता बता कर रोई,
सोंचा भर लूँ आग़ोश में अपने उसको,
पर दिल मजबूर था यह जता कर रोई,


                           अमोद ओझा (रागी)