जिस दिन मैं धरती पे आया,
लेकर अपनी पर नंगी काया,
मिली मुझे ममता की छाया,
सबने अपने गोद उठाया,
खूब खेलाया, खूब खेलाया,
बजे थे ढोल, लोटे और थाली,
आई थी घर में खुशहाली,
पापा ने था क्या रंग जमाया,
फिर से आज वही दिन है आया,
आया मेरा जनमदिन है आया. !!
माँ की आखों का तारा था मैं,
पापा का राज दुलारा था मैं,
दादी के कहानी का मुदतक,
छड़ी बन दादा का सहारा था मैं,
बहनो के लिए मैं, जैसे खिलौना,
हमेशा उन्ही के संग था रहना,
भाई से क्या मैं प्यार था पाया,
दोस्त जैसा था फ़र्ज़ निभाया,
फिर से आज वही दिन है आया,
आया मेरा जनमदिन है आया. !!
आज अकेले मैं बैठा हु,
सबसे दूर कही रहता हु,
दुनिआ ने जो यूँ भरमाया,
छिन लिया ममता का छाया,
ना बजी फिर से वो थाली,
नहीं मनाई किसीने खुशहाली,
ये देख मुझे है रोना आया,
मैंने जन्मदिन नहीं मनाया,
पर फिर से आज वही दिन है आया,
आया मेरा जनमदिन है आया.
!! .
अमोद ओझा (रागी)