Amod Ojha
शुक्रवार, 15 मई 2015
!! तिरछे प्रकाश में !!
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नभ जल रहे थल जल रहे , सब जल रहे सब चल रहे , चिड़िया चिल्लाती आकाश में , सूरज के तिरछे प्रकाश में , सुखी नदिया...
गुरुवार, 30 अप्रैल 2015
!! दुपहरी !!
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जलती धरती, धुप कड़क सी बहती गर्म हवाएँ सन सन सी, भय फैलाती हु जन जन में यु न फिरते लोग है दिन में, तपती नदियाँ, तपते सागर, ...
सोमवार, 27 अप्रैल 2015
!! नसीबा !!
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कभी, दुःख, दर्द से परे , कभी, स्नेह, मोह से परे ,, सांस ले तू सुख चैन की, बिना किसी से कभी डरे , ...
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