शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

!! प्रियवर मुझे घर जाने दो !!

प्रियवर मुझे घर जाने दो,
कल, यही फिर आने को.

गदबेरा की बेला है आई,
सुनो! इसी में है चतुराई,
संध्या ने भी ली अंगड़ाई,
रोशनी भी है कुम्हलाई,
सूरज आया है डूब जाने को,
प्रियवर मुझे घर जाने दो. !! 1!!

जो देर हुई मुझसे हरजाई,
मेरी तो है शामत आई,
अम्मा ने आवाज चढ़ाई,
बहनो ने भी आँख दिखाई,
जो पापा ने हुंकार लगाई,
कल न मिलेगा फिर आने को,
प्रियवर मुझे घर जाने दो, !! 2!!

है प्रियवर जब से प्रीत लगाई,
रहती हु मैं थोड़ी घबराई,
हो न कही अपनी रुसवाई,
है तुमने मेरी आस बढ़ाई,
तो कल यही फिर आने दो,
प्रियवर मुझे घर जाने दो, !! 3!!

क्या कहु, 
इस रात ने जो की बेवफाई
मुझको तुमसे दूर ले आई,
इसको प्रीत समझ न आई,
बस रात युही ढल जाने दो,
प्रियवर मुझे घर जाने दो. !! 4!!

जब चाँद छितिज पर आएगा,
तारों के दीप जलाएगा,
आएगा सो जायेगा,
कल सुबह सूरज की किरणों को
एक पंचम राग सुनाने दो,
प्रियवर मुझे घर जाने दो.!! 5!!

अमोद ओझा (रागी)

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