वो मेहंदी लगे हाथ दिखाकर रोई,
मैं किसी और की हु, मुझे यह बात बता कर रोई,
मैं पूछा कौन है वो खुसनसीब बांदा,
वो मेहंदी से लिखा नाम दिखा कर रोई.
!!
कही गम से फैट न जाये जिगर मेरा,
वो हँसते हँसते मुझे भी हँसा कर रोई,
उसने जाना जब मेरे रोने का सबब,
अपने आंसू मेरी हथेली पर सजा कर रोई !!
दिल ने चाहा उसे जी भर के देख लूँ,
वो मेरी आँखो की प्यास बुझा कर रोई,
कभी कहती थी की मैं जी न पाऊँगी तुम बिन,
आज वो फिर वही बात दोहरा कर रोई, !!
इतना दर्द था मुझसे बिछड़ने का उसको,
अपनी बीती बातें बता बता कर रोई,
सोंचा भर लूँ आग़ोश में अपने उसको,
पर दिल मजबूर था यह जता कर रोई,
अमोद
ओझा (रागी)
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