देखो ! निस दिन लगे नए प्यास को देखो,
बदलते, समय के इतिहास को देखो. !!
बदलते, समय के इतिहास को देखो. !!
था कभी, सतयुग धरती पर, आज कलयुग भी बिता जा रहा है,
हुआ था “महाभारत” यहाँ, आज महा भारत हुआ जा रहा है,
थे कभी “कृष्ण” और “राम” यहाँ पर, आज बस कोहराम है,
था, कभी उपवन धरती पर, आज बंजर खेत खलिहान है,
कैसे बदली समय की रेखा, और बदलते ऋतूमास तो देखो,
क्या और भी कुछ यहाँ बदल पायेगा ?
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो, !!
हुआ था “महाभारत” यहाँ, आज महा भारत हुआ जा रहा है,
थे कभी “कृष्ण” और “राम” यहाँ पर, आज बस कोहराम है,
था, कभी उपवन धरती पर, आज बंजर खेत खलिहान है,
कैसे बदली समय की रेखा, और बदलते ऋतूमास तो देखो,
क्या और भी कुछ यहाँ बदल पायेगा ?
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो, !!
था पुरुसोत्तम राज्य जहां, वहां आज पुरुस ही उत्तम है,
थीं आई सीता भी जहां, वहां औरतों का जीवन छति तम है,
थे ऋषि और महर्षि जहां, वहां अब ढोंगीओ का ही दमखम है
अलख निरंजन का राग नहीं अब, धर्मराग का परचम है
कहीं पिता के बातों को मान, जाते हुए वनवास तो देखो,
भाई और भाई के बीच, प्यार का वो त्यागवास तो देखो,
क्या हम भी ऐसा कर पाएंगे ?
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो !!
थीं आई सीता भी जहां, वहां औरतों का जीवन छति तम है,
थे ऋषि और महर्षि जहां, वहां अब ढोंगीओ का ही दमखम है
अलख निरंजन का राग नहीं अब, धर्मराग का परचम है
कहीं पिता के बातों को मान, जाते हुए वनवास तो देखो,
भाई और भाई के बीच, प्यार का वो त्यागवास तो देखो,
क्या हम भी ऐसा कर पाएंगे ?
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो !!
देखो ! समय बदल रहा है, कपटी सा मन मचल रहा है
तुम्हरी देख सुखमय की लाली, सुई सा तन जल रहा है,
उठ रहा मन में विरोधी, ज्वालाओं का ऐसा गोला,
सिर्फ दिखाने हेतु पहना है, सब ने ईमानदारी का चोला,
अधिकारों के लिए अपनों से, बढ़ते उस कलह व्यास को देखो,
दिल में है उठने वाली, गन्दी घृडा प्यास को देखो,
क्या आगे भी ऐसा ही होगा ?
आगे मुझको पता नहीं बस, देखो अपने आस- पास ही देखो,
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो, !!
तुम्हरी देख सुखमय की लाली, सुई सा तन जल रहा है,
उठ रहा मन में विरोधी, ज्वालाओं का ऐसा गोला,
सिर्फ दिखाने हेतु पहना है, सब ने ईमानदारी का चोला,
अधिकारों के लिए अपनों से, बढ़ते उस कलह व्यास को देखो,
दिल में है उठने वाली, गन्दी घृडा प्यास को देखो,
क्या आगे भी ऐसा ही होगा ?
आगे मुझको पता नहीं बस, देखो अपने आस- पास ही देखो,
देखो ! बदलते, समय के इतिहास को देखो, !!
अमोद ओझा (रागी)
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